रविवार, जुलाई 18, 2010

बेटियॉ

कोरी किताब होती हैं बेटियॉ ।
दिल की साफ होती हैं बेटियॉ ॥
   मन की विशाल होती हैं बेटियॉ ।
   एक प्रकार की मिसाल होती हैं बेटियॉ ॥
फर्ज की राह पर चलते हुए ।
खुद को मिटा देती हैं बेटियॉ ॥
   बेटी, पत्नी, मॉ के रुप में ।
   जीवन अपना बिता देती हैं बेटियॉ ॥
बेटों से अधिक जीवन में ।
खुशिया ला देती हैं बेटियॉ ॥
बाप को स्वर्ग की सीढियॉ ।
चढा देती हैं बेटियॉ ॥
कोरी किताब होती हैं बेटियॉ ।
दिल की साफ होती हैं बेटियॉ ॥

                        विपिन 

शनिवार, जुलाई 17, 2010

एक दरस की चाह में

    


सॉवरे की बनसी में
सब सुर बसते हैं
एक दरस की चाह में
नैनं तरसे हैं
सिर पर मोर पंखी
वाणी से अमृत् छलके हैं
ऑखो में साजे तेज
मुस्कान् में तारे सजते हैं
वृंदावन् के कण कण में
सॉवरे बसते हैं
नटखट हैं चक्र-धारी
लीला-धर प्रेम से मिलते हैं
माखन रुपी प्रसाद की चाह में
दर बदर जिंदगी भटके हैं
सॉवरे की बनसी में
सब सुर बसते हैं
एक दरस की चाह में
नैनं तरसे हैं

                                       विपिन 
                                                      

कवि की कल्पना

उड चला कवि का मन
आज उड चला

भीतर के पट खोल
किसी आवारा पंछी सम
आसमा की छत छूने
उड चला कवि का मन
                            मापने सागर की गहराई
                            छूने तारो की परछार्इ्र
                            किसी घुमक्कड पतंग सम
                            उड चला कवि का मन
घास पर पडी ओंस की बूंद
के र्स्पश् को छूने
बाग में मुड चला
उड चला कवि का मन
                            किन्ही सपनो भरी ऑखो
                            की गहराई में घुलने
                            आशा रुपी दिये के
                            प्रकाश् में मिलने को

उड चला कवि का मन
आज उड चला

                           विपिन 

कलम से

जिंदगी का नाता जुडा हैं कलम से      
विश्वास का धागा बंधा हैं कलम से
भावनाओं के चित्रो को
रंग मिला हैं कलम से
मेंरी सोच का उदय
हुआ हैं कलम से
अब ख्यालो की दुनिया
रोशन हैं कलम से
सपनो को लगे हैं पंख
विचारो का विकास हुआ हैं कलम से
दुखो,परेशानियों,पीडा की धूप में
वट वृक्ष की छाया का अनुभव
मिला हैं कलम से
विरानियों,तनहाइयों में
दोस्ती का साथ मिला हैं कलम से
जिंदगी का नाता जुडा हैं कलम से 
विश्वास का धागा बंधा हैं कलम से

                              विपिन

शुक्रवार, जुलाई 16, 2010

कलम से छलके होंगे ऑसु

 
सुनो ए दुनिया वालो
सुनी सुनाई ना ये बात होगी
मेरे दिल के अरमानो की
आज अंतिम रात होगी
उग गई हैं कागज पर खेती
कलम से ये करामात होगी
मेंरी कविता की हर बात निराली होगी
हर पन्ने में एक खुशभु डाली होगी
कलम से छलके होंगे ऑसु
ऑखो में बरसात होगी
दिल रोता होगा कई कवियो का                    
दिल मेंरा भी रोएगा पर जब
कलम ना अपने साथ होगी
मेंरी कविता की हर बात निराली होगी
मर कर भी मैं हो जाउॅगा अमर
यादों से निकल छप जाउॅगा मैं पन्नो पर            
मेंरी जिंदगी की दास्ता
हर पन्ने पर शुमार होगी
जब मेरे नाम की अपनी किताब होगी         
मेंरी कविता की हर बात निराली होगी
बस इतना ही हैं कहना
कागज कलम संग हैं रहना
मैं कवि हूँ जीता हूँ कलम से
मरता हूँ कलम से
मेरी हर कविता का हैं सार कलम से
शब्दो को लगे हैं अलंकार कलम से
कागज का हुआ हैं अवतार कलम से
उमडता हैं मन में विचारो का सैलाब कलम से
ऑखो पर हैं अंधेरा दिल में बस्ता हैं हिंदुस्तान कलम से
मैं कवि हूँ जीता हूँ कलम से
मरता हूँ कलम से

                                           विपिन
                                       

दीये की ओट तले

दीये की ट तले
पलता हैं एक अंधेरा
सब कुछ देख कर भी
खामो हैं ये अंधेरा
यू तो रोनी का प्रतीक हैं दीया
पर जब जलता हैं तो
पनपता हैं एक अंधेरा
समेट कर सारे अंधेरे को
कदमो में रखता हैं दीया
दीये की ट तले
पलता है एक अंधेरा
कदम कदम पर रोनी
छलकाता हैं दीया
पर अपने घर में पलते अंधेरे से
घबराता  है दीया
यही व्यथा हैं शायद इसकी
रोनी का प्रतीक हैं दीया
पर खुद रोनी के लिए चिल्लाता हैं
दीये की ट तले
पलता हैं एक अंधेरा


बेटी का दर्द

बेटी का दर्द ना समझा कोई
अपने ही सपनो को तोड़ कर वो रोई
सब्र का इम्तहा लिया उसका ऐसा
की कभी सती बनकर जली
तो कभी बाल विवाह में पली बड़ी
आखो से आंसू निकलने ना दिया पर
दिल ही दिल में खूब रोई
बेटी का दर्द ना समझा कोई

                                                                                                      अनुज बिष्ट
                                                                                                      

प्रदूषण नियंत्रण

आजकल उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया हैं और अगर ये कहे कि ये सिर्फ दिल्ली या उससे जुड़े हुए राज्यो तक सीमित हैं तो कहना गलत होगा ।...