विपिन अरोडा
छलक उठा है एक तारा
चित्राई यादो के साये मे
जिंदगी भरती है करवटे
कभी तपता हुआ धूप का साया
तो कभी पहली बारिश की पहली बूँद
तो कभी बुजुर्ग नीम की ठडी छाव का साया
छलक उठा है एक तारा
चित्राई यादो के साये मे
ॠतुओ सी बदलती ये जिंदगी
कभी बस्ता डाल के स्कूल को जाना
तो कभी बस्ता डाल के आफ़िसो के चक्कर लगाना
कभी गाव का पुराना आंगन
तो कभी दादी की कहानियों मे खो जाना
छलक उठा है एक तारा
चित्राई यादो के साये मे
बीते हुए लम्हो मे
दरिया किनारे बैठ कर
पानी मे पत्थर को तैराना
तो कभी आंगन मे बैठे
मीठे सितारे चुगते मोर को
देखते देखते सपनो मे खो जाना
छलक उठा है एक तारा
चित्राई यादो के साये मे
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