शनिवार, नवंबर 02, 2019

प्रदूषण नियंत्रण

आजकल उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया हैं और अगर ये कहे कि ये सिर्फ दिल्ली या उससे जुड़े हुए राज्यो तक सीमित हैं तो कहना गलत होगा । प्रदूषण का स्तर पंजाब, हरयाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, और उत्तरी मध्य प्रदेश में बड़ा हुआ हैं । जहां राजनेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं वही देश कि मीडिया को सिर्फ देश के महानगरो का प्रदूषण दिखता हैं । प्रदूषण कि चपेट में बड़े शहर ज्यादा गिरफ्त होते हैं और इसका कारण तेजी से फैलता शहरीकरण तथा बढ़ती गाड़ियों कि संख्या हैं । 

माना कि प्रदूषण दिवाली पर जलने वाले पटाखों कि वजह से बड़ा हैं परंतु सिर्फ पटाखों या पराली जलाने को कसूरवार ठहराना गलत हैं । प्रदूषण स्तर मानक 100 से अधिक होना स्वस्थ के लिए हानिकारक हैं परंतु देश के लोग तब जागते हैं जब यह मानक 300 के पार हो जाता हैं । बहरहाल देखे तो दिल्ली ने पिछले 1 दशक से स्वस्थ हवा में सांस नहीं ली हैं । इसका मुख्य कारण दिल्ली और महानगरो में बढ़ती गाड़ियों कि संख्या हैं ।

प्रदूषण का मुख्य कारण ।

आकड़ो पर नज़र डालें तो महानगरो में प्रदूषण का 41% हिस्सा केवल वाहनों की वजह से होता हैं जिसकी संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं और सरकारे इसकी तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रही हैं या तो आंखे मूंद के बैठी हैं ।

सरकार क्या कर सकती हैं ।

देश मे बैटरी से चलने वाली यानी इलेक्ट्रिक गाड़ियों कि जरूरत हैं । माना कि अब इसका चलन बढ़ रहा हैं परंतु अभी यह ना के बराबर हैं । देश कि अर्थव्यवस्था गिरी हैं जिसका मुख्य कारण ऑटो सेक्टर कि गिरावट हैं । दिग्गज ऑटो कंपनियों ने अपनी प्रोडक्शन में गिरावट कि हैं और इसका मुख्य कारण हैं ऑटो सेक्टर के भविष्य की अनिश्चितता । इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार की रणनीति साफ नजर नहीं आ रही हैं और कंपनिया जोखिम नही लेना चाहती अधिक उत्पादन करके । देश को जरूरत हैं तो कुछ रणनीतियों कि जो इलेक्ट्रिक वाहनों के चलन को प्रोत्साहन दे और एक मजबूत निर्माण की । सरकार को भारत पेट्रोलियम या इंडियन ऑयल जैसी सरकारी अधिकृत कंपनी कि जरूरत हैं जो महानगरो में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बनाये । इसके निर्माण से कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की प्रेरणा मिलेगी और इनकी मांग भी बढ़ेगी क्योंकि ये बेहद कम कीमत में संचालित होती हैं । इलेक्ट्रिक वाहन के प्रचलन से प्रदूषण में भारी गिरावट आएगी और यह एक कारगर उपाय हैं प्रदूषण से स्थायी निजात पाने का ।

सरकार क्यों इलेक्ट्रिक वाहनों पर खामोश हैं ?

सरकार कि मुख्य आय पेट्रोल एवं डीजल बेच कर आती हैं । यदि इलेक्ट्रिक वाहन का चलन बड़ा तो पेट्रोल एवं डीजल की मांग में भारी गिरावट आएगी और इसके साथ साथ सरकार कि आमदनी में भी गिरावट आएगी । सच कहें तो सरकार अपनी आमदनी के लिए देश की हवा के साथ खिलवाड़ कर रही हैं ।

अन्य देशों का हाल ।

अगर बात करे दूसरे देशों कि तो सबके दिमाग में चीन का नाम आता हैं । चीन ने ना तो सिर्फ प्रदूषण को कम किया परंतु इलेक्ट्रिक वाहनों को खुले दिल से अपनाया हैं । वहां कि सरकार ने खुद से पहले लोक हित में कार्य किये और अपने बढ़ते प्रदूषण स्तर को नियंत्रित किया हैं । उन्होंने अपने देश से 70% केमिकल इंडस्ट्री को बंद किया और एक उधारण दिया । यही हाल जापान और यूरोप के देशों का हैं । अगर बात करे इंग्लैंड की तो उन्होंने देश मे शहरीकरण के साथ साथ पर्यावरण का बहुत खयाल रखा हैं । यहां हर जगह हरियाली देखने को मिलती हैं फिर चाहे सड़के, स्कूल, रोड और घरों को देखे । इंग्लैंड में वाहन तो बहुत हैं परंतु उतनी ही ज्यादा हरियाली हैं और यहां के लोग मेट्रो और बसों का ज्यादा उपयोग करते हैं ।

निष्कर्ष

भारत को भी इसी तरह कड़े कदम उठा कर देश मे प्रदूषण को कम करना होगा अन्यथा आने वाले समय मे और भी गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे । 

जय हिंद ।।
~ विपिन 

रविवार, अगस्त 18, 2019

ब्लॉग कि एक नई शुरुआत

लिखने का बीज तो वर्ष 2004 में ही बो दिया था परंतु सीमित ज्ञान और सही दिशा के अभाव में यह बीज पनप ना सके । अब सोचता हूं कि कुछ अच्छा और सच्चा लिखना शुरू कर दूं ।


करीब पंद्रह साल लगा दिए सिर्फ यह सोचने में कि अपनी सोच को कैसे लोगो तक पहुचाऊं । अगर ये कहूँ कि हिंदी और लिखने से दूर था तो गलत होगा पर ये सच हैं कि नाम की चाहत में बहुत समय बर्बाद कर दिया । जो भी अब तक लिखा और जो लिखूंगा वह सब लिखूंगा इस ब्लाग पर ताकि आपको कुछ अच्छा और सच्चा पड़ने को मिले ।


कभी कविता कभी कहानी ।
हिंदी में शब्दों कि जुबानी ।।
सच्ची और अच्छी रचनाएँ ।
बस अब सबको पढाये ।।
~विपिन


हिंदी का प्रखर जानकार तो नहीं हूं परन्तु कोशिश करूंगा कि भाषा मे त्रुटि ना हो । यदि कोई गलती हो भी जाये तो मुझे सुधारने में सहायता करें । आपका साथ और पढ़ने वालों से सच्चे विवरण कि आशा करता हूँ ।


धन्यवाद


सोमवार, अप्रैल 17, 2017

मीठी बातें

ले रहा हूँ नाम तेरा जैसे ले रहा हूँ साँसे ।
भूल कर भी भूल ना पाऊं तेरी मीठी बातें ।।

शुक्रवार, मार्च 24, 2017

ख्वाब मेरें

ख्वाब मेरे नन्हे नन्हे छोटे छोटे उड़ते है उमड़ते है
छूने को आसमान
पाने को एक पहचान
सैलाब जैसे उठते है
ख्वाब मेरे नन्हे नन्हे छोटे छोटे उड़ते है उमड़ते है
इन्द्रधनुष के रंगो से चमकते है
कभी गीली मिटटी कि खुशबु में पिघलते है
देख के आंसू दिल में सिमटते है
तो कभी सपनो के बादलो में मचलते है
ख्वाब मेरे नन्हे नन्हे छोटे छोटे उड़ते है उमड़ते है

बुधवार, जुलाई 04, 2012

जाने कैसी जिद है


दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी

द्वारा आयोजित  "वार्षिक  कविता  पाठ  प्रतियोगीता  2012"
में  कवि  विपिन  अरोड़ा 
की दिल को छू लेने वाली कविता 

जाने कैसी जिद है  



                                                              कवि - विपिन 
                                                               


मजहब की लड़ाई

दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी

द्वारा आयोजित  "वार्षिक  कविता  पाठ  प्रतियोगीता  2012"
में  कवि  अनुज  बिष्ट 
की दिल को छू लेने वाली कविता 

मजहब  की  लड़ाई 


                      

कवि - अनुज बिष्ट 

शुक्रवार, सितंबर 23, 2011

में क्या लिख पाउँगा

में क्या लिख पाउँगा
शब्दों में 
विदाई की वो रात 
माँ बेटी के दिल की वो बात  
माँ के आसुओ में छुपी 
ममता 
बिटिया के आखों के सपने  
भैया की छोटी 
वो नोक झोक 
वो लड़ना झगड़ना  
में क्या लिख पाउँगा
शब्दों में 
पिता की लाडली 
नन्ही सी गुडिया 
चली बसाने एक नया संसार 
में क्या लिख पाउँगा  
शब्दों में  
वो अनोखा सा अहसास 
वो हालत 
वो विदाई की वो रात 
में क्या लिख पाउँगा
शब्दों में

प्रदूषण नियंत्रण

आजकल उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया हैं और अगर ये कहे कि ये सिर्फ दिल्ली या उससे जुड़े हुए राज्यो तक सीमित हैं तो कहना गलत होगा ।...